गाँव नही छोड़ना चाहिये था!!
गाँव नही छोड़ना चाहिये था!!
गांव छोड़ आये शहर की तलाश में,
मिल गए दोस्त अब फेसबुक इंस्टाग्राम पर,
नही मिलते तो यार पुराने अब चाय पर,
खो गई हवेली बड़ी हमारी गाँव की,
बसते अब हम लोग शहर की चार दिवारी में,
गाँव नही छोड़ना चाहिये था!!
जो छोड़ा सुकून सारा जो हम गाँव में,
मिलटा नही वो आराम यह शहर की भीड़ भाड़ में,
भूल गए सारे नीम हकीम इलाज गाँव के,
होगई सारी कॉन्टिनेंटल अब बातें है!!
खो गई है को बारिश की मिट्टी की खुशबू,
दिखती अब बस शहर के तपति राह है,
खो गए सारे खास इंसानी रिश्ते गाँव के,
यहा तो खूनी रिश्ते भी बस आम है !
होगये पूरे सपने जवानी के लेकिन,
पर खोया हर एक बचपन का ख्वाब है!
गाँव नही छोड़ना चाहिये था!!
न जाने कितने सीतम और आने है
न जाने कितने गम इस शहर में पाने है..
न जाने कितने दिन यह सोच कर काटने है,
यह गाँव नही छोड़ना था!!