आखिर कोई दुनिया से क्या लेकर जायेगा..

Sourabh Nagori
1 min readAug 15, 2020

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अक्सर रात के ढाई बजे,
एक ख्याल आ जाता है।
क्यों करना है इतना काम,
आखिर कोई क्या दुनिया से ले जाता है!

फिर ख्यालों की लगती दौड़ है,
आते याद सारे पुराने दोस्त हैं।
माना साथ बचे है अब कुछ ही,
लेकिन सबकी यादें अनमोल हैं ।
अब लेकिन करना क्या है इन रिश्तों का,
आखिर कोई क्या दुनिया से ले जाता है!

फिर से सोना है अब, और कल फिर से उठना है,
आज एक जंग जीती है, कल फिर एक जंग होना है।
अब कब तक और क्यों लडूं यह लड़ाई मैं,
क्या हीे मैं पाऊंगा, क्या इस 99 के फेर से कभी मैं जीत पाऊंगा।
फिर से आएंगी बाते नई, फिर से किससे होंगे खत्म,
इस आरंभ-अंत के फेर में अब फिर सोयेगे हम

और सोचते जायेगे

आखिर कोई दुनिया से क्या लेकर जायेगा

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Sourabh Nagori

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