तुम भी न..

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तुम भी न..

कभी बाते करो गुड सी मीठी,
तो कभी झगड़ों में करेले सी कड़वाहट भी,

कभी हर बाते होती सच्चाई की,
तो कभी करदो मिलावट भी..

कभी बनो तुम कहानी का सार मेरा,
कभी बन जाओ तुम मेरी कहावत भी..

कभी बिखेर कर रख देती दिन मेरा,
कभी कर देती उसकी सुंदर सजावट भी..

खुश रहो मुस्कुराओ तो जन्नत दिखा दो,
तो कभी मचा दो कलह हाहाकार भी…

कभी मेरे हर नखरे तुम्हारे सर आखों पर,
तो कभी मुझसे बगावत भी..

तुम भी न..

✍️ सौरभ

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Sourabh Nagori

Digital Marketing Consultant | Trying to Write Something Here